तुलसी

विक्षनरी से
तुलसी

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तुलसी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक छोटा झाड़ या पौधा जिसकी पत्तियों से एक प्रकार की तीक्ष्म गंध निकलती है । विशेष— इसकी पत्तियों एक अंगुल से दो अंगुल तक लंबी और लंबाई लिए हुए गोल काट की होती हैं । फूल मंदरी के रूप मे पतली सींकों में लगते हैं । अंकुर के रूप में बीज से पहले दो दल फूटते हैं । अभ्दिद् शास्त्रवैत्ता तुलसी को पुदीने की जाति में गिनते हैं । तुलसी अनेक प्रकार की होती है । गरम देशों में यह बहुत अधिक पाई जाती है । अफ्रिका और दक्षिण अमेरिका में इसके अनेक भेद मिलते हैं । अमेरिका में एक प्रकार की तुलसी होती है जिसै ज्वर जड़ी कहते हैं । फसली बुखार में इसकी पत्ती का काढ़ा पिलाया जाता है । भारत वर्ष में भी तुलसी कई प्रकार की पाई जाती है; जैसे, गंभ— तुलसी, श्वेत तुलसी या रामा, कृष्ण तुलसी या कृष्णा, वर्वरी तुलसी या ममरी । तुलसी की पत्ती मिर्च आदि के साथ ज्वर में दी जाती है । बैद्यक में यह गरम, कडुई, दाहकारक, दीपन तथा कफ, वात और कुष्ट आदि को दूर करनेवाली मानी जाती है । तुलसी को वैष्णव अत्यंत पवित्र मानते हैं । शालग्राम ठाकुर की पूजा बिना तुलसीपत्र के नहीं होती । चरणामृत आदि में भी तुलसीदल डाला जाता है । तुलसी की उत्पत्ति के संबंध में ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह कथा है—तुलसी नाम की एक गोपिका गोलोक में राधा की सखी थी । एक दिन राधा ने उसे कृष्ण के साथ विहार करते देख शाप दिया कि तू मनुष्य शरीर धारण कर । शाप के अनुसार तुलसी धर्मध्वज राजा की कन्या हुई । उसके रूप की तुलना किसी से नही ं हो सकती थी, इससे उसका नाम 'तुलसी' पड़ा । तुलसी ने बन में जाकर घोर तप किया और ब्रह्मा से इस प्रकार वर माँगा ।—'मैं कृष्ण की रति से कभी तृप्त नहीं हुई हूँ । मैं उन्हीं को पति रूप में पाना चाहती हुँ । ब्रह्मा के कथानानुसार तुलसी ने शंखचूड़ नामक राक्षस से विवाह किया । शंखचूड़ को वर मिला था कि बिना उसकी स्त्री का सतीत्व भंग हुए उसकी मृत्यु न होगी । जब शंखचूड़ ने संपूर्ण देवताओं को परास्त कर दिया, तब सब लोग विष्णु के पास गए । विष्णु ने शंखचूड़ का रूप धारण करके तुलसी का सतीत्व नष्ट किया । इसपर तुलसी ने नारायण के शाप दिया कि 'तुम पत्थर हो जाओं' । जब तुलसी नारायण के पैर पर गिरकर बहुत रोने लगी, तब विष्णु ने कहा, 'तुम यह शरीर छोड़कर लक्ष्मी के समान मेरी प्रिया होगी । तुम्हारे शरीर से गंडकी नदी और केश से तुलसी वृक्ष होगा ।' तब से बराबर शालग्राम ठाकुर की पूजा होने लगी और तुलसी— दल उनके मस्तक पर चढ़ने लगा । वैष्णव तुलसी की लकडी़ की माला और कंठी धारण करते हैं । बहुत से लोग तुलसी शालग्राम का विवाह बड़ी धूमधाम से करते हैं । कार्तिक मास में तुलसी की पूजा घर घर होती है, क्योकि कार्तिक की अमावस्या तुलसी के उत्पन्न होने की तिथि मानी जाती है ।

२. तुलसीदल ।

तुलसी विवाह संज्ञा पुं॰ [सं॰] विष्णु की मूर्ति के के साथ तुलसी के विवाह करने का एक उत्सव । विशेष—हिंदू परिवारों की धार्मिक महिलाएँ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में भीष्मपंचक एकादशी से पूर्णीमा तक यह उत्सव मनाती हैं ।

तुलसी वृंदावन संज्ञा पुं॰ [सं॰] तुलसीचोरा [को॰] ।