तेजाब

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तेजाब संज्ञा पुं॰ [फा़॰ तेजाब] [वि॰ तेजाबी] किसी क्षार पदार्थ का अम्ल सार जो द्रावक होता हैं । जैसे,गंधक का तेजाब, शोरे का तेजाब नमक का तेजाब, नीबू का तेजाब आदि । विशेष—किसी चीज का तेजाब तरल रूप में होता है और किसी का रवे के रूप में, पर सब प्रकार के तेजाब पानी में घुल जाते हैं, स्वाद में थोडे़ या बहुत खट्टे होते है और क्षारों का गुण नष्ट कर देते हैं । किसी धातु पर पड़ने से तेजाब उसे काटने लगता है । कोई कोई तेजाब बहुत तेज होता है और शरीर में जिस स्थान पर लग जाता है उसे बिलकुल जला देता है । तेजाब का व्यवहार बहुधा औषधों में होता है ।