तेली
तेली जाती सनातन धर्म की सबसे ऊंची जाती है तेली समाज ने हमेशा देश एवं धर्म के लिए बलिदान दिया है तेली समाज गुप्त राजवंश का वंशज है जिसमें सम्राट समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, नरसिंहगुप्त बालादित्य एवं अन्य सम्राटों ने जन्म लिया था । तेली समाज में अनेक महापुरुष हुये जिनमें दानवीर भामाशाह, महात्मा गांधी, राजा धनुआ तेली, वीर योद्धा महाबली तेली एवं अन्य राजाओं ने जन्म लिया ।
हिन्दी[सम्पादन]
तेली समाज के महापुरुष[सम्पादन]
गुरु संताजी जगनाडे महाराज ( जो संत तुकाराम के परम शिष्य थे। गुरु संताजी द्वारा लिखे अभंगो को पांचवा वेद कहा जाता है)
गुरु गोरखनाथ ( गुरु गोरखनाथ ने स्वयं अपने श्लोक में अपनी जाति तेली बताई है। गुरु गोरखनाथ को ही नाथ सम्प्रदाय के विस्तार का श्रेय जाता है)
देवी मां कर्मा ( भगवान जगन्नाथ स्वयं प्रातः कालीन सुबह मां कर्मा के घर खिचड़ी का भोग लगाने आते थे। इस पर बहुत सी कहानियां प्रचलित है। और इसी कारण आज भी जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है)
राजा भामाशाह (भामाशाह और महाराणा प्रताप बचपन के परममित्र थे। जब महाराणा प्रताप को मुगलों से युद्ध करने के लिए आपार धन और सैनिकों की जरूरत थी, उसी वक्त उनके बचपन के मित्र भामाशाह ने अपने सारे धन दौलत को महाराणा को देश की रक्षा के लिए दान दे दिया,और भामाशाह ने भील और मीणाओं की सेना एकत्र कर तब महाराणा प्रताप और भामाशाह ने मुगलों से युद्ध किया था)
वीर महाबली तेली ( वीर महाबली और छत्रसाल दोनो ही बचपन के परममित्र थे। वीर महाबली ने अपने पूर्वजों की सारी धन संपत्ति को दान कर छत्रसाल को युद्ध के लिए तैयार किया। तब बुंदेलखंड के दोनो शेरो छत्रसाल और महाबली ने मुगलों से युद्ध किया। और मुगलों को पराजित भी किया)