तेली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तेली संज्ञा पुं॰ [हिं॰ तेल + ई (प्रत्य॰)] [स्त्री॰ तेलिन] हिंदुओं की एक जाति जिसकी गणना शूद्रों में होती हैं । विशेष—ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार इस जाति की उत्पत्ति कोटक स्त्री और कुम्हार पुरुष से है । इस जाति के लोग प्रायः सारे भारत में फैले हुए हैं और सरसों, तिल आदि पेर— कर तेल निकालने का व्यवसाय करते हैं । साधारणतः द्बिज लोग इस जाति के लोगों का छूआ जल नहीं गहण करते । मुहा॰—तेलो का बैल = हर समय़ काम में लगा रहनेवाला । व्यक्ति ।