तोप
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तोप संज्ञा स्त्री॰ [तु॰] एक प्रकार का बहुत बड़ा अस्त्र जो प्राय: दो या चार पहियों की गाड़ी पर रखा रहता है और जिसमें ऊपर की और बंदूक की नली की तरह एक बहुत बड़ा नल लगा रहता है । इस नल में छोटी गोलियों या मेखों आदि से भरे हुए गोल या लंबे गोले रखकर युद्ध के समय शत्रुओं पर चलाए जाते हैं । गोले चलाने के लिये नल के पिछले भाग में बारूद रखकर पलीते आदि से उसमें आग लगा देते हैं । उ॰—छुटहिं तोप घनघोर सबै बंदूक चलावै ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ५४० । विशेष—तोपें छोटी, बड़ी मैदानी, पहाड़ी और जहाजी आदि अनेक प्रकार की होती हैं । प्राचीन काल में तोपें केवल मैदानी और छोटी हुआ करती थीं और उनको खींचने के लिये बैल या घोड़े जोते जाते थे । इसके अतिरिक्त घोडों, ऊँटों या हाथियों आदि पर रखकर चलाने योग्य तोपें अलग हुआ करती थीं जिनके नीचे पहिए नहीं होते थे । आजकल पाश्चात्य देशों में बहुत बड़ी बड़ी जहाजी, मैदानी और किले तोड़नेवाली तोपों बनती हैं जिनमें से किसी किसी तोप का गोला ७५—७५ मील तक जाता है । इसके अतिरिक्त बाइसिकिलों, मोटरों और हवाई जाहजों आदि पर से चलाने के लिये अलग प्रकार की तोपें होती हैं । जिनका मुँह ऊपर की ओर होता है, उनसे हवाई जहाजों पर गोले छोड़े जाते हैं । तोपों का प्रयोग शत्रु की सेना नष्ट करने और किले या मोरचेबंदी तोड़ने के लिये होता है । राजकुल में किसी के जन्म के समय अथवा इसी प्रकार की और किसी महत्वपूर्ण घटना के समय तोपों में खाली बारूद भरकर केवल शब्द करते हैं । क्रि॰ प्र॰—चलना ।—चलाना ।—छूटना ।—छोड़ना ।—दगना ।—दागना ।—भरना ।—मारना ।—सर करना । यौ॰—तोपची । तोपखाना । मुहा॰—तोप कीलना = तोप की नाली में लकड़ी का कुंदा खूब कसकर ठोंक देना जिससे उसमें से गोला न चलाया जा सके । [प्राचीन काल में मौका पाकर शत्रु की तोपें अथवा भागने के समय स्वयं अपनी ही तोपें इस प्रकार कील दी जाती थीं ।] तोप की सलामी उतारना = किसी प्रसिद्ध पुरुष के आगमन पर अथवा किसी महत्वपुर्ण घटना के समय बिना गोले के केवल बारूद भरकर शब्द करना । तोप के मुँहपर छोड़ना = बिलकुल निराश्रित छोड़ देना । खतरे के स्थान पर छोड़ना । उ॰—फिर तुम उस बेचारी को अकेली तोप के मुँह पर छोड़ आए हो ।—रति॰, पृ॰ ४४ । तोप के मुँह पर रखक र उड़ाना = बहुत कठिन दंड या प्राणदंड देना । तोप के मुहरे पर उड़ा देना = दे॰ 'तोप' के मुँहपर रखकर उड़ाना' । उ॰— ऐसी बद औरतों को तोप के मुहरे पर उड़ा दे बस ।— सैर कु॰ पृ॰ १८ । तोप दम करना = दे॰'तोप के मुँह पर रखकर उड़ाना' । किसी पर या किसी के सामने तोप लगाना = किसी वस्तु को उड़ाने के लिये तोप का मुँह उसकी ओर करना ।