त्र
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]त्र ^१ वि॰ [सं॰] १, तीन ।
२. रक्षा करने वाला । रक्षक (समासांत में प्रयुक्त) ।
त्र ^२ प्रत्य एक प्रत्यय जो सप्तमी विभक्ति के रुपमे प्रयुक्त होता है ।
त्रय [वि] - 1. तीन; तीसरा 2. तीन अंशों या रूपोंवाला।
त्रयताप [सं-पु.] - त्रिविध ताप; दैहिक, दैविक और भौतिक ताप।
त्रयंबक [सं-पु.] - तीन अंबक या नेत्रों वाला अर्थात शिव; महादेव।
त्रयी [सं-स्त्री.] - 1. तीन विभिन्न इकाइयों का समूह, जैसे- देवत्रयी, वेदत्रयी, लोकत्रयी 2. दुर्गा 3. बोध; समझ 4. सोमराजी लता।
त्रयोदशी [सं-स्त्री.] - चांद्र मास के किसी पक्ष की तेरहवीं तिथि; तेरस।