त्रसरैनि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

त्रसरैनि पु संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ] दे॰ 'त्रसरेणु' । उ॰— चंद चकोर की चाह करै, घनआनँद स्वाति पपीहा को धावै । त्यौं त्रसरैनि के ऐन बसै लबी, मीन पै दीन ह्वै सागर आवै । — घनानंद, पृ॰ ६५ ।