त्रिखित पु वि॰ [हिं॰] दे॰ 'तृषित' । उ॰—त्रिखित लोचन जुगल पान हित अमृतवपु विमल बृंदाविपिन भूमिचारी ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ५४ ।