त्रिनेत्ररस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

त्रिनेत्ररस संज्ञा पुं॰ [सं॰] वैद्यक में एक प्रकार का रस । विशेष—यह शोधे हुए पारे, गंधक और फूँके हुए ताँबे को बराबर बराबर भागों में लेकर एक विशेष क्रिया से तैयार किया जाता है और जो सन्निपात रोग में दिया जाता है ।