त्रिपथगा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] गंगा । उ॰—मानो मूल भाषा त्रिपथगा की तीन धारा हो बहीं ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३७० । विशेष—हिंदुओं का विश्वास है कि स्वर्ग, मर्त्य और पाताल इन तीनों लोकों में गंगा बहती हैं, इसीलिये इसे त्रिपथगा कहते हैं ।