त्रिफला
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]त्रिफला संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आँवले, हड़ और बहेड़े का समूह । विशेष—यह आँखों के लिये हितकारक, अग्निदीपक, रुचिकारक, सारक तथा कफ, पित्त, मेह, कुष्ट और विषमज्वर का नाशक माना जाता हैं । इससे वैद्यक में अनेक प्रकार के घृत आदि बनाए जाते हैं । पर्या॰—त्रिफली । फलत्रय । फलत्रिक ।
२. वह चूर्ण जो इन तीनों फलों से बनाय जाता है । विशेष—यह चूर्ण बनाते समय एक भाग हड़, दो भाग बहेड़ा और तीन भाग आँवला लिया जाता है ।