थर
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
थर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्तर] तह । परत ।
थर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थल]
१. दे॰ 'थल' । उ॰— एहि थर बनी क्रीड़ा गजमोचन और अनंत कथा स्त्रुति गाई ।— सूर॰, १ । ६ ।
२. बाघ की माँद ।
थर थर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] डर से काँपने की मुद्रा । मुहा॰— थर थर करना = डर से काँपना ।
थर थर ^२ क्रि॰ वि॰ काँपने की पूरी मुद्रा के साथ । जैसे,—बह डर के मारे थर थर काँपने लगा । उ॰— थर थर काँपहिं पुर नर नारी ।— तुलसी (शब्द॰) ।