थल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]थल संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थल]
१. स्थान । जगह । ठिकाना । उ॰— सुमति भूमि थल हृदय अगाधू । वेद पुरान उदधि घन साधू ।—मानस, १ । ३६ । मुहा॰—थल बैठना या थल से बैठना = (१) आरामा से बैठना । (२) स्थिर होकर बैठना । शांत भाव से बैठना । जमकर बैठना । आसन जमाकर बैठना ।
२. सूखी धरती । वह जमीन जिसपर पानी न हो । जल का उलटा । जैसे,— (क) नाव पर से उतर कर थल पर आना । (ख) दुर्योधन को जल का थल और थल का जल दिखाई पड़ा ।
३. थल का मार्ग । यौ॰—थलपर । थलबेड़ा । जलथल ।
४. ऊँच, धरता या टीला जिसपर बाढ़ का पानी न पहुँच सके ।
५. वहृ स्थान जहाँ बहुत सी रेत पड़ गई हो । भूड़ । थली । रेगिस्तान । जैसे थर परखर ।
६. बाघ की माँद । चुर ।
७. बादले का एक प्रकार का गोल (चवन्नी के बराबर का) साज जिसे बच्चों की टोपी आदि पर जब चाहें तब टाँक सकते हैं ।
८. फोड़े का लाल और सूजा हुआ घेरा । व्रणमंड़ल । जैसे, कोड़े का थल बाँधना । क्रि॰ प्र॰—बाँधना ।