थाँग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

थाँग संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ थान] चोरों या डाकुओं का गुप्त स्थान । चोरों के रहने की जगह ।

२. खोज । पता सुराग (विशेषतः चोर या खोई हुई वस्तु आदि का) । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

३. भेद । गुप्त रूप से लगा हुआ किसी बात का पता । जैसे,— बिना थाँग के चोरी नहीं होती ।

४. सहारा । आश्रय स्थान । उ॰— अति उमगी री आन प्रीति नदी सु अगाध जल । धार माँझ ये प्रान, दरस थाँग बिन नाहिं कल ।—ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ ४ ।