थापना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]थापना ^१ क्रि॰ सं॰ [सं॰ स्थापन]
१. स्थापित करना । जमाना । बैठाना । जमाकर रखना । उ॰—लिंग थापि बिधिवत करि पूजा । सिव समान प्रिय मोहि न दूजा । —मानस, ६ । २ ।
२. किसी गीली सामग्री (मिट्टी, गोबर आदि) को हाथ या साँचे से पीट अथवा दबाकर कुछ बनाना । जैसे, उपले थापना, खपड़े थापना, इँट थापन ।
थापना ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्थापना]
१. स्थापन । प्रतिष्ठा । रखने या बैठाने का कार्य । उ॰— जहाँ लगि तीरथ देखहु जाई । इनहीं सब थापना थपाई ।—कहीर मं॰, पृ॰ ४७० ।
२. मूर्ति की स्थापना या प्रतिष्ठा । जैसे, दुर्गा की थापना । उ॰— करिहौं इहाँ संभु थापना । मोरे हृदय परम कलपना ।— मानस, ६ । २ ।
३. नवरात्र में दुर्गापूजा के लिये घटस्थापना ।