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थापा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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थापा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ थाप]

१. हाथ के पंजे का वह चिह्न जो किसी गीली वस्तु (हलदी, मेहदी, रंग आदि) से पुती हुई हथेली को जोर से दबाने या मारने से बन जाता है । पंजे का छापा । क्रि॰ प्र॰ —देना ।—मारना ।—लगाना । विशेष— पूजा या मंगल के अवसर पर स्त्रियाँ इस प्रकार के चिह्न दीवार आदि प बनाती हैं ।

२. गाँव में देवी देवता की पूजा के लिये किया हुआ चंदा । पुजोंरा ।

१. खलयान में आनाज की राशि पर गीली मिट्टी या गोबर से ड़ाला हुआ चिह्ना जो इसलिये ड़ाला जाता है जिसमें यदि कोई चुरावे तो पता लग जाय । चाँकी ।

४. वह साँचा जिसमें रंग आदि पोतकर कोई चिह्ना अंकित किया जाय । छापा ।

५. वह साँचा जिसमें कोई गीली सामग्री दबाकर या डालकर कोई वस्तु बनाई जाय । जैसे, ईंट का थापा, सुनारों का थापा ।

६. ढेर । राशि । उ॰— सिद्धिहिं दरब आगि कै थापा । कोई जरा, जार, कोइ तापा ।— जायसी (शब्द॰) ।

७. नैपालियों की एक जाति ।

थापा संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थापना, हिं॰ थाप] आघात । थपकी । थाप थप्पड़ । उ॰— जहाँ जहाँ दुख पाइया गुरु को थापा सोय । दब्रही सिर टक्कर लगै तब हरि सुमिरन होय ।—मलूक॰, पृ॰ ४० ।