थूक

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

थूक संज्ञा पुं॰ [अनु॰ थू थू] वह गाढ़ा और कुछ कुछ लसीला रस जो मुँह के भीतर जीभ तथा मांस की झिल्लियों से छूटता ह । ष्ठीवन । खखार । लार । विशेष—मनुष्य तथा और उन्नत स्तन्य जीवों में जीवों के अगले भाग तथा मुँह के भीतर की मांसल झिल्लियों में दाने की तरह उभरे हुए (अत्यंत) सूक्ष्म छेद होते हैं जिसमें एक प्रकार का गाढ़ा सा रस भरा रहता है । यह रस भिन्न जंतुओं में भिन्न भिन्न प्रकार का होता है । मनुष्य आदि प्राणियों के थूक के भाग में ऐसे रासयनिक द्रव्यों का अंश होता है जो भोजन के साथ मिलकर पाचन में सहायता देते हैं । मुहा॰—थूक उछालना = व्यर्थ की बकवात करना । थूक बिलोना = व्यर्थ बकना । अनुचित प्रलाप करना । थूक लगाना । हराना । नीचा दिखाना । चूना लगाना । हैरान और तंग करना । थूक लगाकर छोड़ना = नीचा दिखाकर छोड़ना । (विरोधी को) तंग और लज्जित करके छोड़ना । दंड देकर छोड़ना । थूक लगाकर रखना = बहुक सैतकर रखना । जोड़ जोड़कर इकट्ठा करना । कंजूसी से जमा करना । कृप- णता से संचित करना । थूकों सत्तू सानना = कंजूसी या किफायत के मारे थोड़े से सामान से बहुत बड़ा काम करने चलना । बहुत थोड़ी समाग्री लगाकर बड़ा कार्य पूरा करने चलना । थूक है = धिक् है ! लानत है !