थैरज पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थैर्य] कठोरता । स्थिरता । दृढ़ता । उ॰— ए हरि तोहर थैरज जत से सब कहत धनि गेलि गेलि सून सँकेता रे ।—विद्यापति, पृ॰ २६० ।