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थोक

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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थोक संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्तोपक, प्र॰ थोवँक, हिं॰ थोंक]

१. ढेर । राशि । अटाला ।

२. समूह । झुंड । जत्था । मुहा॰—थोक करना = इकट्ठा करना । जमा करना । उ॰—द्रुम चढ़ि काहे न टेरी कान्हा गैयाँ दूरि गई ।.....बिड़रत फिरत सकल बन महियाँ एकइ एक भई । छाँड़ि खेल सब दूरि जात हैं बोलै जो सकै थोक कई ।—सूर (शब्द॰) । थोक की थोक = ढेर की ढेर । बहुत सी । उ॰—वह यह भी जानते थे कि मेरी थोक की थोक डाक चिनी डाकखाने में जमा हो रही है ।—किन्नर॰, पृ॰ ५४ ।

३. बिक्री का इकट्ठा मास । इकट्ठा बेचने की चीज । खुदरा का उलटा । जैसे,—हम थोक के खरीदार हैं ।

४. जमीन का टुकड़ा जो किसी एक आदमी का हिस्सा हो । चक ।

५. इकट्ठी वस्तु । कुल ।

६. वह स्थान जहाँ कई गाँवों की सीमाएँ मिलती हों । वह जगह कई सरहदें मिलें ।