थोथा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]थोथा ^१ वि॰ [देश॰] [वि॰ स्त्री॰ थोथी]
१. जिसके भीतर कुछ सार न हो । खोखला । खाली । पोला । जैसे, थोथा चना बाजे घना । उ॰—बहुत मिले मोहि नेमी धर्मी प्रात करैं असनाना । आतम छोड़ पषानै पूजैं तिन का थोथा ज्ञाना ।— कबीर श॰, भा॰ १, पृ॰ २७ ।
२. जिसकी धार तेज न हो । कुंठित । गुठला । जैसे, थोथा तीर ।
३. (साँप) जिसकी पूँछ कट गई हो । बाड़ा । बे दुम का ।
४. भद्दा । बेढंगा । व्यर्थ का । निकम्मा । मुहा॰—थोथी कथनी = व्यर्थ की बात । निःसार बात । उ॰— करनी रहनी दृढ़ गहौ थोथी कथनी डारौ ।—चरण॰ बानी, भा॰ २, पृ॰ १७० । थोथी बात = (१) भद्दी बात । (२ व्यर्थ की बात । व्यर्थ का प्रलाप) ।
थोथा ^२ संज्ञा पुं॰ बरतन ढालने का मिट्टी का साँचा ।