सामग्री पर जाएँ

दंडस्थान

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

दंडस्थान संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्डस्थान]

१. वह स्थान जहाँ दंड पहुँचाया जा सकता है । विशेष—मनु ने दंड के लिये दस स्थान बतलाए हैं—(१) उपस्थ, (२) उदर, (३) जिह्वा, (४) दोनों हाथ, (५) दोनों पैर, (६) आँख, (७) नाक, (८) कान, (९) धन और (१०) देह । अपराध के अनुसार राजा नाक, कान आदि काट सकता है या धन हरण कर सकता है ।

२. कौटिल्य के मत से वह जनपद या राष्ट्र जिसका शासन केंद्र द्वारा होता हो ।