दंडापूपान्याय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दंडापूपान्याय संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्ड + अपूपन्याय] एक प्रकार का न्याय या दृष्टांत कथन जिसके द्वारा यह सूचित किया जाता है कि जब किसी के द्वारा कोई बहुत कठिन कार्य हो गया तब उसके साथ ही लगा हुआ सहज और सुखकर कार्य अवश्य ही हुआ होगा । जैसे, यदि डंडे में बँधा हुआ अपूप अर्थात् मालपुआ कही रखा हो और पीछे मालूम हो कि डंडे को चूहे खा गए तो यह अवश्य ही समझ लेना चाहिए कि चूहे मालपूए को पहले ही खा गए होंगे ।