दंद
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दंद ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दहन, दन्हह्यमान्] किसी पदार्थ से निकलती हुई गरमी, जैसी तपी हुई भूमि पर मेघ का पानी पड़ने से निकलती है या खानों के भीतर पाई जाती है । क्रि॰ प्र॰—आना ।—निकलना ।
दंद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्वन्द्व प्रा॰ दंदं]
१. लड़ाई झगड़ा । उपद्रव । हलचल ।
२. युद्ध । संघर्ष । संग्राम । उ॰—आज हनो जैचंद दंद ज्यौं मिटै ततष्षिन ।—पृ॰ रा॰ ६१ ।१४६ ।
३. हल्ला गुल्ला । शोरगुल ।
४. दुःख । मानसिक उथल पुथल । उ॰— रोहिनि माता उदर प्रगट भए हरन भक्त के दंद ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ५१३ । (ख) त्यागहु संसय जम कर दंदा । सूझि परहि तह भवजल फंदा ।—दरिया॰ बानी, पृ॰ ३ । क्रि॰ प्र॰ —मचाना ।