दई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दई पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ दैव] दे॰ 'दैव' । उ॰—बहए बुलिए बुलि भमरि करुनाकर आहा दइ आइ की भेल ।—विद्यापति, पृ॰ ११८ ।
दई संज्ञा पुं॰ [सं॰ दैव]
१. ईश्वर । विधाता । उ॰—गई करि जाहु दई के निहारे ।—दास (शब्द॰) । यौ॰—वईमारा । मुहा॰—दई का घाला = ईश्वर का मारा हुआ । अभागा । कम- बख्त । उ॰—जननी कहति, दई की घाली ! काहे के इत- राती ।—सूर (शब्द॰) । दई का मारा = दे॰ 'दईमारा' । दई दई = हे दैव ! हे दैव । रक्षा के लिये ईश्वर के पुकार । उ॰— (क) दई दई आलसी पुकारा ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) दीरघ साँस न लोहि दुख, सुख साँईहिं न भूल । दई दई क्यों करत है, दई दई सो कबूल ।—बिहारी (शब्द॰) ।
२. दैव संयोग । अदृष्ट । प्रारब्ध ।