दक्षिणा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दक्षिणा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. दक्षिण दिशा ।

२. वह धन जो ब्राह्मणों या पुरोहितों को यज्ञादि कर्म कराने के पीछे दिया जाता है । वह दान जो किसी शुभ कार्य आदि के समय ब्राह्मणों को दिया जाय । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लेना । विशेष—पुराणो में दक्षिणो को यज्ञ की पत्नी बतलाय, है । ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में लिखा हैं कि कार्तिकी पूर्णिमा की रात को जो एक बार रास महोत्सव हुआ उसी में श्रीकृष्ण के दक्षिणांश से दक्षिणा की उत्पत्ति हुई थी ।

३. पुरस्कार । भेट ।

४. वह नायिका जो नायक के अन्य स्त्रियों से संबंध करने पर भी उससे बराबर वेसी ही प्रीति रखती हो ।