दखमा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दखमा संज्ञा पुं॰ [फा़॰ दख्मह्] वह स्थान जहाँ पारसी अपने मुरदे रखते हैं । विशेष—पारसियों में यह प्रथा है कि वे शव को जलाते या गाड़ते नहीं हैं बल्कि उसे किसी विशिष्ट एकांत स्थान में रख देते हैं जहाँ चील कौए आदि उसका मांस खा जाते हैं । इस काम के लिये वे थोड़ा सा स्थान पचीस तीस फुट ऊँची दीवार से चारों ओर से घेर देते हैं, जिसके ऊपरी भाग में जँगला सा लगा रहता है । इसी जँगले पर शव रख दिया जाता हैं । जब उसका मांस चील कौए आदि खा लेते हैं तब हड्डियाँ जँगले में से नीचे गिर पड़ती हैं । नीचे एक मार्ग होता है जिससे ये हड्डियाँ निकाल ली जाती हैं । भारत में निवास करनेवाले पारसियों के लिये इस प्रकार की व्यवस्था बंबई, सूरत आदि कुछ नगरों में हैं ।