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दबना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दबना क्रि॰ अ॰ [सं॰ दमन]

१. भार के नीचे आना । बोझ के नीचे पड़ना । जैसे, आदमियों का मकान के नीचे दबना ।

२. ऐसी अवस्था में होना जिसमें किसी ओर से बहुत जोर पड़े । दाब में आना ।

३. (किसी भारी शक्ति का सामना) होने अथवा दुर्बलता आदि के कारण) अपने स्थान पर न ठहर सकना । पीछे हटना ।

४. किसी के प्रभाव या आतंक में आकर कुछ कह न सकना अथवा अपने इच्छानुसार आचरण न कर सकना । दबाव में पड़कर किसी के इच्छानुसार काम करने के लिये विवश होना । जैसे,—(क) कई कारणों से वे हमसे बहुत दबते हैं । (ख) आप तो उनसे कमजोर नहीं हैं, फिर क्यों दबते है ।

५. अपने गुणों आदि की कमी के कारण किसी के मुकाबले में ठीक या अच्छा न जँचना । जैसे,—यह माला इस कंठे के सामने दब जाती है ।

६. किसी बात का अधिक बढ़ या फैल न सकना । किसी बात का जहाँ का तहाँ रह जाना । जैसे, खबर दबना, मामला दबना । उ॰— नाम सुनत ही ह्वै गयौ तब औरे मन और । दबै नहीं चित चढ़ि रह्वौ अबहुँ चढ़ाए त्यौर ।—बिहारी (शब्द॰) ।

७. उमड़ न सकना । शांत रहना । जैसे, बलवा दबना, क्रोध दबना ।

८. अपनी चीज का अनुचित रूप से किसी दूसरे के अधिकार में चला जाना । जैसे,—हमारे सौ रुपए उनके यहाँ दबे हुए हैं ।

९. ऐसी अवस्था में आ जाता जिसमें कुछ बस न चल सके । जैते,—वे आजकल रुपए की तंगी से दबे हुए हैं । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

१०. धीमा पड़ना । मंद पड़ना । मुहा॰—दबी आवाज = धीमी आवाज = वह आवाज जिसमें कुछ जोर न हो । दबी जवान से कहना = अस्पष्ट रूप से कहना । किसी प्रकार के भय आदि के कारण साफ साफ न कहना । बल्कि इस प्रकार कहना जिससे केवल कुछ ध्वनि व्यक्ति हो । दबे दबाए रहना = शांतिपूर्वक या चुपचाप रहना । उपद्रव या कार्रवाई न करना । दबे पाँव या पैर (चलाना) = इस प्रकार (चलना) जिसमें किसी को कुछ आहट न लगे ।

११. संकोच करना । झेंपना ।