दर्पण
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दर्पण या आइना एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के परावर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है।
दर्पण के प्रकार
दर्पण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
- समतल दर्पण (plain mirror)
- उत्तल दर्पण (covex mirror)
- अवतल दर्पण (concave mirror)
दर्पणों के उपयोग
- अपनी छवि देखने के लिये (प्राय: समतल दर्पण)
- गाडियों में - पीछे से आ रही दूसरी गाडियों के देखने के लिये (उत्तल दर्पण)
- प्रकाशीय यंत्रों (दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी आदि) में
- प्रकाश को एक बिन्दु पर केन्द्रित करने के लिये
यह भी देखें
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
दर्पण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आईना । आरसी । मुहँ अपने का शीशा । वह काँच जो प्रतिबिंब के द्वार मुँह देखने के लिये सामने रखा जाता है ।
२. ताल के साठ मुख्य भेदों में से एक भदे ।
३. चक्षु । आँख ।
४. संदीपन । उद्दीपन । उभारने का कार्य । उत्तेजना ।
५. एक पर्वत का नाम जो कुवेर का निवासस्थान माना जाता है (को॰) ।