दव
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दव संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वन । जंगल ।
२. दवाग्नि । वह आग जो वन में आपसे आप लग जाती है । दवारि । दावा । उ॰—गई सहमि सुनि वचन कठोरा । मृगी देखि जनु दव चहुँ ओऱा ।—तुलसी (शब्द॰) ।
३. अग्नि । आग । उ॰—(क) आजु अयोध्या जल नहिं अचवों ना मुख देखौं माई । सूरदास राघव के बिछुरे मरौं भवन दव लाई ।—सूर (शब्द॰) । (ख) राकापति षोडश उगै तारागण समुदाय । सकल गिरिन दव लाइए रवि बिनु राति न जाय ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—दवदग्धक = एक तृण । एक घास का नाम । दवदहन = दावाग्नि । वनाग्नि ।
४. दे॰ 'दवथु' ।