दह

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दह ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ ह्यद (आद्यंत विपयंय), अथवा सं॰ द्रह, प्रा॰ दह]

१. नदी में वह स्थान जहाँ पानी बहुत गहरा हो । नदी के भीतर का गड्ढा । पाल । उ॰—ले वसुदेव घँसे दह सामुहिं तिहूँ लोक उजियारे हो ।—सूर (शब्द॰) । यौ॰—कालीदह ।

२. कुड । हौज । उ॰—टोपन टूटि उठै असि सच्छी । दह में मनौ उच्छलै मच्छी ।—लाल (शब्द॰) ।

दह ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दहन] ज्वाला । लपट । लौ ।

दह ^३ वि॰ [फा़॰] दस । उ॰—(क) भादों घोर राति अँधियारी । द्वार कपाट कोट भट रोके दह दिसि कंत कंस भय भारी— सूर (शब्द॰) । (ख) हाट बाट नहिं जाहिं निहारी । जनु पुर दह दिसि लागि दवारी ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—दहचंद = दसगुना । दहदिला = साहसी । वीर । दहदिसि = चारों ओर । दसो दिशाओं में । उ॰—दहदिसि दीपक तेज के बिन बाती बिन तेल । चहुँ दिसि सूरज देखिए दादू आद्भुत खेल ।—दादू॰, पृ॰ १०० । दहरोजा = चंद दिन का । कुछ दिनों का ।