दाक्षिण्य
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संज्ञा
- दक्षिण से जुड़ी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
दाक्षिण्य ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. अनुकूलता । किसी के हित की ओर प्रवृत्त होने का भाव । प्रसन्नता ।
२. उदारता । सरलता । सुशीलता ।
३. दूसरे के चित्त को फेरने या प्रसन्न करने का भाव ।
४. साहित्य में नाटक का एक अंग, जिसमें वाक्य या चेष्टा द्वारा दूसरे के उदासीन या अप्रसन्न चित को फेरकर प्रसन्न करने का भाव दिखाया जाता है ।
दाक्षिण्य ^२ वि॰
१. दक्षिण का । दक्षिण संबंधी ।
२. दक्षिणा संबंधी ।