दाढ़
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दाढ़ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दंष्ट्र, प्रा॰ दड्ढ, या दंष्ट्रा, प्रा॰ दड्डा । मि॰ सं॰ दाडक, दाढा]
१. जबडे़ के भीतर के मोटे चौड़े दाँत । चौभर । मुहा॰—दाढ़ न लगाना = दाँत से न कुचलना । दाढ़ गरम होना = खाना खाने में आना ।
२. शूकर का दाँत जो आगे निकला रहता है ओर जिससे वह प्रहार करता है । †
३. दाढ़ी । श्मश्रु । (क्व॰) ।
दाढ़ ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰]
१. भीषण शब्द । गरज । दहाड़ । जैसे, सिंह की दाढ़ ।
२. चिल्लाहट । मुहा॰—दाढ़ मारकर रोना = खूब चिल्ला चिल्लाकर रोना । उ॰—रस्सी कटते ही मुर्दा नीचे गिर पड़ा और गिरते ही दाढ़ें मार मार रोने लगा ।—(शब्द॰) ।