दात
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दात पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दातव्य या सं॰ दात्र ( = दान)] दान । उ॰— तुम सब ही के गुरु मानी अति पुर पुर भूतल के सुर तुम्हैं दीजियत दात है ।—हनुमान (शब्द॰) ।
दात ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दाता] दे॰ 'दाता' । उ॰—सतगुरु समानै को सगा सोंध समानै दात ।—कबीर (शब्द॰) ।
दात ^३ वि॰ [सं॰]
१. विभक्त । कटा हुआ । छिन्न ।
२. धुला हुआ । स्वच्छ किया हुआ । मार्जित । शुद्ध [को॰] ।