दिगंत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दिगंत ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दिगन्त]
१. दिशा की छोर । दिशा की अंत ।
२. आकाश की छोर । क्षितिज ।
३. चारो दिशाएँ ।
४. दसों दिशाएँ । यौ॰— दिगंतगामिनी = दिशाओं के छोर तक पहुँचनेवाली उत्कट प्रतीक्षा दिगंतगामिनी अभिलाषा....समुद्र गर्जन में संगीत की, सृष्टि करने लगी ।— आकाश॰, पृ॰ १०१ । दिगंत— फलक = क्षितिज रूपी फलक या पृष्ठभूमि । उ॰— हो गया सांध्य नभ का रक्ताभ दिगंत फलक ।—अपरा, पृ॰ ६५ ।
दिगंत पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दृग् + अन्त] आँख का कोना । उ॰— राचे पितंबर ज्यों चहुंघाँ, कछू तैसिये लाली दिगंतन छाई ।— द्विजदेव (शब्द॰) ।