दियासलाई
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दियासलाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ दीया + सलाई] लकड़ी की वह तीली या सलाई जो रगड़ने से जल उठती है । विशेष— यह प्रायः एक अंगुल या इससे कुछ कम लंबी ओर पतली लकड़ी की सलाई होती है जिसके एक सिरे पर गंधक आदि कई भभकनेवाला मसाले लगे होते हैं । इस सिरे को रग- ड़ने से आग निकलती है जिससे सलाई जलने लगती है । जिस सलाई के सिरे पर गँधक लगी होती है वह हर एक कड़ी चीज पर रगड़ने से जल उठती है; पर जिसके सिरे पर अन्य मसाले लगे होते है वह विशिष्ट मसालों से बने हुए तल पर रग- ड़ने से जलती है । इसके अतिरिक्त चिनगारी या आग से इस सिरे का स्पर्श कराने से भी सलाई जल उठती है । छोटी चौकोर डिबिया में दियासलाइयाँ बंद रहती है; और उसी डिबिया के पार्श्व पर वह मसाला लगा होता है जिसपर रगड़ने से सलाई जलती है । लकड़ी एक अतिरिक्त एक प्रकार की मोम की बनी हुई दियासलाई होती है जो अपेक्षाकृत अधिक समय तक जलती रहती है । आजकल वैज्ञानिकों ने कागज आदि की भी सलाई बनाई है । सलाई का व्यवहार दीया जलाने और आग सुलगाने आदि के लिये होता है । क्रि॰ प्र॰—घिसना । —जलाना ।—रगडना ।