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दिल्लगी

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दिल्लगी उड़ाना । ठट्ठा करना । उपहास करना ।

२. व्यंग्य वचन बोलना । चुभती या लगती बात कहना ।

३. चुटकी से खोदना । चुटकी से दबाना । चुटकी भरना । उ॰—बार बार कर गहिगहि निरखत घूँघट ओट करौ किन न्यारो । कबहुँक कर परसत कपोल छुइ चुटकी हयाँ हमहिं निहारो ।—सूर (शब्द॰) ।

५. अगुठे और उँगली से मोड़कर बनाया हुआ गोखरू, गोटा या लचका । (कभी कभी यह किश्तीनुमा भी होता है, जिसे किश्ती की चुटकी कहते हैं) ।

६. बंदूक के प्याले का ढकना । बंदूक का घोड़ा । (लश॰) ।

७. कटावदार गुलबदन या मशरू

८. पैर की उँगलियों में पहनने का चाँदी का एक गहना । एक प्रकार का चौड़ा छल्ला ।

९. कपड़ा छापने को एक रीति । १० काठ आदि की बनी हुई एक प्रकार की चिमटी जिसमें कागज या किसी और हलकी वस्तु की पकडा देने से वह इधर उधर उड़ने नहीं पती ।

११. पेचकश ।

१२. दरी के ताने का सूत ।

दिल्लगी संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰ दिल + हिं॰ लगना]

१. दिल लगाने की क्रिया या भाव ।

२. वह व्यापार, घटना या बात आदि जिसकी विलक्षणता आदि के कारण चित्त का विनोद और मनोरंजन हो । केवल चित्तविनोद या हँसने हँसाने की बात । ठट्ठा । ठठोली । मजाक । मखौल । मसखरी । जैसे,—(क) आप आजकल बहुत दिल्लगी करने लगे हैं । (ख) कल रातवाले झगड़े में अच्छी दिल्लगी देखने में आई । (ग) दोनों का सामना होगा तो बड़ी दिल्लगी होगी । मुहा॰—किसी बात का दिल्लगी उड़ाना = (किसी बात को) अमान्य और मिथ्या ठहराने के लिये (उसे) हँसी में उड़ा देना । हँसी की बात कहकर टाल देना । उपहास करना । जैसे,—(क) आप तो सब की यों ही दिल्लगी उड़ाया करते हैं । (ख) उन्होंने तुम्हारी किताब की खूब दिल्लगी उड़ाई । दिल्लगी में = केवल दिल्लगी के विचार से । यों ही । हँसी में । जैसे,—मैने उन्हें दिल्लगी में ही यहाँ से जाने के लिये कहा था, पर वे नाराज होकर चले गए ।