दीप्तरस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दीप्तरस संज्ञा पुं॰ [सं॰] केंचुआ । विशेष— रात को अँधेरे में केचुए के शरीर के रस से एक प्रकार की चमक निकलती हैं इसी से इसका यह नाम पड़ा है ।