दुख

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दुख संज्ञा पुं॰ [सं॰ दुःख] दे॰ 'दुःख' । मुहा॰—दुख का मारा = विपात्ति में पड़ा । दुःखी । उ॰— कोई आवे दुख का मारा, हम पर किरपा कीजै जी ।—कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ १०३ । दूःख का दूर भागना = दुःख मिट जाना । विशोक हो जाना । उ॰— जानति नहीं कहूँ नहिं देखे मिलि, गई ऐसैं मनहु सगे । सूर स्याम ऐसे तुम देखे मैं जानति दुख दुरि भगे ।—सूर, १० । १७८१ ।