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दुनियाँ

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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दुनियाँ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]

१. संसार । जगत् । यौ॰—दीन दुनियाँ = लोक परलोक । मुहा॰—दुनियाँ के परदे पर = सारे संसार में । दुनिया की हवा लगना = सांसारिक अनुभव होना । संसारी विषयों का अनुभव होना । दुनियाँ भर का = बहुत या बहुत अधिक । जैसे,— (क) दुनियाँ भर का सामान साथ ले जाकर क्या करोगे? (ख) दुनियाँ भर का बखेड़ा । दुनियाँ से उठ जाना = पर जाना । दुनियाँ से चल बसना = मर जाना ।

२. संसार के लोग । लोक । जनता । जैसे,—सारी दुनियाँ इस बात को जानती है । उ॰—ये तपसी द्वै गरूर भरे दुनियाँ ते दयानिधि बोलत ना ।—दयानिधि (शब्द॰) ।

३. संसार का जंजाल । जगत् का प्रपंच ।