दुरमत पु संज्ञा स्त्री॰ [प्रा॰ हिं॰] दे॰ 'दुर्मति' । उ॰—पाँचो यार पचीसो भाई सगरि गोहार बोलाओ । तेगा तरकस कस के बाँधो, दुरमत दूर बहाओ ।—कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ ७ ।