दुहना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दुहना क्रि॰ स॰ [सं॰ दोहन]
१. स्तन से दूध निचोड़कर निकालना । दूध निकालना । उ॰—(क) तिल सी तो गाय है, छौना नौ नौ हाथ । मटकी भर भर दुहिए, पूँछ अठारह हाथ ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) राजनीति मुनि बहुत पढ़ाई गुरुसेवा करवाये । सुरभी दुहत दोहनी माँगी बाँह पसारि देवाये ।—सूर (शब्द॰) । विशेष—'दूध' और 'दूधवाला पशु' दोनों इसके कर्म हो सकते हैं । जैसे, दूध दुहना, गाय दुहना ।
२. निचोड़ना । तत्व निकालना । सार निकालना । सार खींचना । उ॰—(क) पाछे पृथु को रूप हरि लीन्हें नाना रस दुहि काढ़े । तापर रचना रची विधाता बहु विधि पललन बाढ़े ।— सूर (शब्द॰) । (ख) दीप दीप के दीप की दिपति दुहिन दुहि लीन । सब ससि दामिनी भा मिले वा भामिनि को कीन ।—श्रृं॰ सत॰ (शब्द॰) । मुहा॰—दुह लेना = (१) निःसार कर देना । सार खींच लेना । (२) धन हर लेना । जहाँ तक हो किसी से लाभ उठाना । लूटना । उ॰—बेचहि बेद धरम दुहिं लेहीं । पिसुन पराय पाप कहि देहीं ।—तुलसी (शब्द॰) ।