दूब
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दूब संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दूर्वा] एक प्रकार की प्रसिद्ध घास जो पश्चिमी पंजाव के थोडे़ से बलुए भाग को छोडकर समस्त भारत में और पाहाड़ों पर आठ हजार फुट की ऊँचाई तक बहुत अधिकता से होती है । धोबी घास । हरियाली । विशेष—यह सब तरह की जमीनों पर और प्रायः सब ऋतुओं में होती है और बहुत जल्दी तथा सहज में फेल जाती है । इसकी बाहरी गाँठे जहाँ जमीन से छू जाती हैं वहीं जम जाती हैं और उनमें लंबी और बहुत पतली पत्तियाँ निकलने लगती हैं । गाएँ और गोडे़ इसे बडे़ प्रेम से खाते हैं और इससे उनका बल खूब बढ़ता है । गाएँ और भैसें आदि इसे खाकर खूब मोटी हो जाती हैं और अधिक दूध देने लगती हैं । यह सुखा— कर भी बरसों रखी जा सकती है । जिस स्थान पर एक बार यह हो जाती है वहाँ से इसे बिलकुल निकालना बहुत कठिन होता है । यह साधारणतः तीन प्रकार की होती है;—हरी, सफेद और गाँडर [दे॰ 'गाँडर' २] । वैद्यक में दूब को साधारणतः कसैली, मधुर, शीतल और पित्त, तृषा, अरुचि, दाह, मूर्च्छा, कफ, भूतबाधा और श्रम को दूर करनेवाली कहा है । हिंदू लोग इसका व्यवहार लक्ष्मी और गणेश आदि के पूजन में करते और इसे मंगलद्रव्य मानते हैं ।