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देवगण

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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देवगण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. देवताओं का वर्ग । देवताओं का अलग अलग समूह । विशेष—वैदिक देवताओं के ये गण हैं—८ वसु, ११ रुद्र, १२ आदित्य । इनमें इंद्र और प्रजापति मिला देने से ३३ देवता होते हैं (शतपथ ब्राह्मण) । पीछे से इन गणों के अतिरिक्त ये गण और माने गए—३० तुषित, १० विश्वेदेवा, १२ साघ्य, ६४ आभास्वर, ४९ मरुत्, २२० महाराजिक । इस प्रकार वैदिक देवताओं के गण और परवर्ती देवगणों को कुल संख्या ४१८ होती है । बौद्ध और जैन लोग भी देवताओं के कई गण या वर्ग मानते हैं ।

२. फलित ज्योतिष में नक्षत्रों का एक समूह जिसके अंतर्गत अश्विनी, रेवती, पृष्य, स्वाती, हस्त, पुनवँसु, अनुराधा, मृग- शिरा और श्रवण है ।

३. किसी देवता का अनुचर ।