देवगिरि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

देवगिरि संज्ञा पुं॰ [सं॰] रैवतक पर्वत जो गुजरात में है । मिरनार ।

२. दक्षिण का एक प्राचीन नगर जो आजकल दौलताबाद कहलाता है और निजाम राज्य के अंतर्गत है । विशेष—यह यादव राजाओं की बहुत दिनों तक राजधानी रहा । प्रसिद्ध कलचुरि वंश का जब अध: पतन हुआ तब इसके आसपास का सारा प्रदेश द्बारसमुद्र के यादव राजाओं के हाथ आया । कई शिलालेखों में इन यादव राजाओं की जो वंशावली मिली है वह इस प्रकार है— सिंघन (१ ला) मल्लूगि भिल्लम (शक सं॰ ११०९—१११३) जैतूगि (१ ला) वा जैत्रपाल, जैत्रसिंह (शक १११३—११३१) सिंघन (२रा) वा त्रिभुवनमल्ल (शक ११३१—११६९) जैतूगि (२रा) या चैत्रपाल कृष्ण या कन्हार (शक ११६९—११८२) महादेव (शक ११८३—११९६) रामचंद्र या रामदेव (शक ११९३—१२३१) हितीय सिंघन के समय में ही देवगिरि यादवों की राजधानी प्रसिद्ध हुआ । महादेव की सभा में बोपदेव और हेमाद्रि ऐसे प्रसिद्ध पंडित थे । कृष्ण के पुत्र रामचंद्र रामदेव बड़े प्रतापी हुए । उन्होंने अपने राज्य का विस्तार खूब बढ़ाया । शक सं॰ १२१६ में अलाउद्दीन ने देवगिरि पर अकस्मात् चढ़ाई कर दी । राजा जहाँ तक लड़ते बना बहाँ तक लड़े पर अंत में दुर्ग के भीतर सामग्री घट जाने से उन्होंने आत्मसमर्पण किया शक सं॰ १२२८ में रामचंद्र ने कर देना अस्वीकार कर दिया उस समय दिल्ली के सिंहासन पर अलउद्दीन बैठ चुका था । उसने एक लाख सवारों के साथ मलिक काफूर को दक्षीण भेजा । राजा हार गए । अलाउद्दीन ने संमानपूर्वक उन्हें फिर देवगिरि भेज दिया । इधर मलिक काफूर दक्षिण के और रज्यों में लूटपाट करने लगा । कुछ दिन बीतने पर राजा रामचंद्र का जामाता हरिपाल मुसलमानों को दक्षिण से भगा कर देवगिरि के सिंहासन पर बैठा । छह बर्ष तक उसने पूर्ण प्रताप के साथ राज्य किया । अंत में शक सं १३४० में दिल्ली के बादशाह ने उसपर चढ़ाई की और कपटयुक्ति स उसको परास्त करके मार डाला । इस प्रकार यादव राज्य की समाप्ति हुई । मुहम्मद तोगलक पर जब अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि ले जाने की सनक चढ़ी थी तब उसने देवगिरि का नाम दौलताबाद रखा था ।