देवदासी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

देवदासी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. वेश्या ।

२. मंदिरों की दासी य़ा नर्तकी । विशेष—ये जमन्नाथ से लेकर दक्षण के प्रायः सब मंदिरों में नाचती गाती हैं और वेश्यावृत्ति करती हैं । इनके माता, पिता बचपन ही में उन्हें मंदिर को दान कर देते हैं, जहाँ उस्ताद लोग इन्हें नाचना गाना सिखाते हैं । मरदास के चिमलपट जिले के कोरियों (कपड़ा बुननेवालों) में यह रीति हैं कि वे अपनी सबसे बड़ी लड़की को किसी मंदिर को दार कर देते हैं । इस प्रकार की दान की हुई कुमोंरियों की महाराष्ट्र देश में 'मुरली' और तैलंग देश में 'वसवा' कहते हैं । इन्हें मंदिरों से गुजारा मिलता है । मरने पर इनका उत्तराधिकारी पुत्र नहीं होता, कन्या होती है । मंदिरों में देवदासियाँ रखने की प्रथा प्राचीन है । कालिदास के मेधदूत में महाकाल के मंदिर में वेश्याओं के नृत्य करने की बात लिखी है । मिस्र, यूनान, बाबिलन आदि के प्राचीन देव- मंदिरों में भी देवनर्तकियाँ होती थीं ।

३. जंगली बिड़ौरा नीबू । बिजौरा नीबू ।