सामग्री पर जाएँ

दैन्य

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

दैन्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दीनता । दरिद्रता ।

२. गर्व या अहंकार के प्रतिकूल भाव । विनीत भाव । अपने को तुच्छ समझने का भाव ।

३. काव्य के संचारी भावों में से एक, जिसमें दुःखादि से चित्त अति नम्र हो जाता है । कातरता ।