द्यो

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

द्यो संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. स्वर्ग ।

२. आकाश ।

३. शतपथ ब्राह्मण और देवीभागवत के अनुसार आठ वसुओं में से एक । विशेष— महाभारत, अग्निपुराण और भागवत में आठ वसुओं के के जो नाम दिए गए हैं उनमें यह नाम नहीं है । देवीभागवत में इस वसु के संबंध में यह कथा लिखी है । एक बार सब वसु अपनी स्त्रियों को लेकर क्रीड़ा कर रहे थे । वे घूमते, फिरते वसिष्ठ के आश्रम पर जा निकले । द्यो की स्त्री ने वसिष्ठ की गाय नंदिनी को देखा और अपने स्वामी से उसे लेने के लिये कहा । द्यो गाय को हर ले गया । इसपर वसिष्ठ ने क्रुद्ध होकर शाप दिया । इस शाप के कारण जो का पृथ्वीतल पर भीष्म के रूप में जन्म हुआ ।