द्रुपद

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

द्रुपद संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. महाभआरत के अनुसार उत्तर पांचाल का एक राजा । विशेष— यह चंद्रवंशी पूषत का पुत्र था । द्रोणाचार्य और द्रुपद बचपन में एक साथ खेला करते थे और दोनों में बड़ी मित्रता थी । पुषत के मर जाने पर द्रुपद पांचाल का राजा हुआ । हुआ । उस समय द्रोणचार्य जी उसके पास गए और उन्होंने अपनी बचपन की मित्रता का परिचय देना चाहा, पर द्रुपद ने उनाक तिरस्कार कर दिया । जब द्रोणाचार्य जी को भीष्म जी ने कौरवों और पांडवों को शिक्षा देने के लिये बुलाया और द्रोण जी ने उनको बाण विद्या की उत्तम शिक्षा दी तब गुरु- दक्षिणा में उन्होंने कौरवों और पांडवों से यही माँगा कि तुम द्रुपद को बाँदकर मेरे सामने ला दी । कौरव तो उनकी आज्ञा का पालन नहीं कर सके पर पांडवों ने द्रुपद को जीता और उसे बाँधकर अपने गुपु को अर्पित किया । द्रोणाचार्य जी नो द्रुपद से कहा कि तुम गंगा के दक्षिण किनारे राज्य करों, उत्तर के किनारे का राज्य हम करेंगे । द्रुपद उस समय तो मान गया पर उसेक मन में द्रोणाचार्य की ओर से द्वेष बना रहा । उसने याज और उपयाज नामक दे ऋषियों की सहा- यता से ऐसे पुत्र की प्राप्ति के लिये, जो द्रोणाचार्य का नाश कर सके, यज्ञ करना प्रारंभ किया । यज्ञ के प्रसाद से धृष्टद्युम्न नाम का पुत्र और कृष्णा नाम की एक कन्या हुई । द्रुपद के एक ओर पुत्र था जिसका नाम शिखंडो था । कृष्णा अर्जुन आदि पांडवों से ब्याही गई थी । द्रुपद महाभारत के युद्ध में मारा गया ।

२. खंभे का पाय ।

३. खड़ाऊँ ।