द्वेष संज्ञा पुं॰ [सं॰] चित्त को अप्रिय लगने की वृत्ति । चिढ़ । शत्रुता । वैर । विशेष— योगशास्त्र में द्वेष उस भाव को कहा गया है जो दुःख का साक्षात्कार होने पर उससे या उसके कारण से हटने या बचने की प्रेरणा करता है ।