द्वैध संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. विरोध । परस्पर विरोघ । राजनीति के षड्गुणों में से एक जिसमें परस्पर के व्यवहार में गुप्त और प्रकट स्वभाव रखना पड़ता है अर्थात् मुख्य उद् देश्य गुश रखकर दूसरा उद्देश्य प्रकट किया जाता है ।