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द्वैमातुर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

द्वैमातुर ^१ वि॰ [सं॰] जिसकी दो माताएँ हों ।

द्वैमातुर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. श्रीगणेश । विशेष—स्कंदपुराण के गणेशखंड में लिखा है कि श्रीगणेश वरेण्य नामक राजा के घर उनकी रानी पुष्पका देवी के गर्भ से त्रैलोक्य की विघ्नशांति के लिये उत्पन्न हुए । पर उनकी आकृति और तेज आदि को देखकर राजा डर गए और उन्हें पार्श्वमुनि के आश्रम के पास एक जलाशय में फेकवा दिया । वहाँ मुनि की पत्नी दीपवत्सला ने उन्हें पाला । इस प्रकार दो माताओं के द्वारा पलने के कारण श्रीगणेश का नाम द्वैमातुर पड़ा ।

२. जरासंध ।